Tuesday 20 August 2013

फिर आया त्यौहारों का मौसम


फिर आया त्यौहारों का मौसम
लेकर खुशियां ढेर रंगारंग
पहले तीज़ ने धूम मचाई
घेवर, फेनी, गुँजिया उड़ाईं
राखी लेकर दीदी आई
उसने भी मुँह में ठूँसी मिठाई
जन्माष्टमी का भी मज़ा निराला
दिन भर मुँह में डाला ताला
चंदा मामा देर से आए
लेकिन तब ही लिया निवाला
दशहरा की तो बात ना पूछो
मेघनाद मारा, कुम्भकर्ण मारा
रावण की भी धज्जियां उडाईं
दिन भर खेले मौज़ मनाई
उस पर भी हमको मिली मिठाई
यह लो भैया आई दिवाली
रंगबिरंगी है मतवाली
घर-आँगन सब करो सफाई
रिमझिम को अब दो विदाई
दिन छिपते ही दीप जलाएं
दुशमन-दोस्त सब गले लगाएं
भैया ने फिर फुलझड़ी जलाई
हम सबने फिर खाई मिठाई।

:) :) :) :) :) :) :) :)


3 comments:

  1. भैया ने फिर फुलझड़ी जलाई
    हम सबने फिर खाई मिठाई।
    ............ओह, क्या बात है।
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  2. आभार और धन्यवाद भी ब्लाॅग पर दृष्टि डालने के लिए, संजय भास्कर जी!

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  3. तीज ले आई सब त्योहार... ,
    कोमल रचना!

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