Monday 26 August 2013

मेरी अब तक की टोटल शायरीनुमा तुकबंदी:- [1]

1.चाँद निकला था रात सितारों में मगर,
हम उनकी गली में नज़र लगाये बैठे ही रहे।
दीदार-ए-शमां हुआ ही नहीं,
हम ज़ाम-ए-मौहब्बत लिए बैठे ही रहे।

2. रातें भी होंगी मुलाकातें भी होंगीं
मगर जो बात आज है वो फिर कहां होगी।

3.1
आइने यूँ ही बदनाम हुआ करते
आइनों की नजरों में ना कभी चोर हुआ करते हैं
जब अपनी ही आँखों से ना दिखे सच
आइने बड़े मददगार हुआ करते है

हमको मालूम होता पहले अगर
आइने में उनको देखकर,गज़ल बन जाएगी
शीशमहल ही लाकर दे देते
अब, अब तो रहते हैं वो हर पल नजरों के सामने
बीच में आइना भला कैसे खड़ा कर लें।
......(डा. अरविंद मिश्रा सर के एक फेसबुक फोटो पर)

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