तर्क, मेंढ से गुजरते हुए पडौसी के खेत से बिना पूछे तोडी गई तरकारी के समान होते हैं। आपको नहीं पता होता कि उसने तरकारी किस उद्देशय से बोई हुई थी।
जबकि विचार, खुद अपने खेत में रात दिन निराई-गुड़ाई-सिंचाई की अथक मेहनत से उगाई गई फसल के समान होते हैं।
अत: तर्क-वितर्क निकृष्ट है, विचार-विमर्श उत्कृष्ट।
जो लोग अपना सारा बचपना बचपन में ही खर्च कर देते हैं वे अक्सर जवानी में जिंदगी खोया करते हैं और बुढ़ापे में जिंदगी ढोया करते हैं। जो लोग ताउम्र अपना बचपन बचाये रखते हैं केवल वही पूरी जिंदगी जी पाते हैं।
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Wednesday, 3 July 2013
एक विचार
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